ग़ज़ल
हसरतें मिट गईं, हर ख़ुशी खो गई
तुम गए तो मेरी ज़िन्दगी खो गई
मेरी किस्मत में सहरा था सो मिल गया
हाय वो हुस्न की इक नदी खो गई
पास मेरे खिजान, दूर है वो बहार
फूल मुरझा गया, ताजगी खो गई
यादों की आग में जिस्म-ओ-जान जल रहे
कैसे पाऊं सुकून, चांदनी खो गई
मैं खतावार हूँ बख्श दे ऐ खुदा
इश्क की राह में बंदगी खो गई
तुम गए तो मेरी ज़िन्दगी खो गई
मेरी किस्मत में सहरा था सो मिल गया
हाय वो हुस्न की इक नदी खो गई
पास मेरे खिजान, दूर है वो बहार
फूल मुरझा गया, ताजगी खो गई
यादों की आग में जिस्म-ओ-जान जल रहे
कैसे पाऊं सुकून, चांदनी खो गई
मैं खतावार हूँ बख्श दे ऐ खुदा
इश्क की राह में बंदगी खो गई
रियाज़ 'आशना'
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